क्या आपने कभी सोचा है कि आपकी कार, जो आपको सुबह ऑफिस ले जाती है, और शाम को घर वापस लाती है, कैसे काम करती है? क्या आप जानते हैं कि आधुनिक कारों में मैनुअल और ऑटोमैटिक गियर बॉक्स दो अलग-अलग दुनियाएं हैं, जिनमें से एक को चुनने से आपकी गाड़ी चलाने की पूरी अनुभूति बदल सकती है? आज, हम बात करेंगे मैनुअल और ऑटोमैटिक गियर कारों के अंतरों, उनके फायदों, नुकसानों और आने वाले समय में उनके प्रभाव पर। जैसे किसी नई टेक्नोलॉजी से परिचित होना, इस लेख में हम मैनुअल और ऑटोमैटिक गियर कारों के बीच भेद को स्पष्ट करेंगे। यही नहीं, आपको ये भी पता चलेगा कि इनके भविष्य की दुनिया में क्या योगदान हो सकता है।
मैनुअल गियर कारें: नियंत्रण की कला
मैनुअल गियर कारें, जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है, ड्राइवर को गियर बदलने का पूरा नियंत्रण देती हैं। इसमें ड्राइवर को खुद तय करना होता है कि उसे कब और कौन सा गियर लगाना है।
यह एक पारंपरिक प्रणाली है जो दशकों से कारों में इस्तेमाल हो रही है। मैनुअल ट्रांसमिशन को चलाने के लिए ड्राइवर को क्लच पेडल (आमतौर पर बाएँ पैर से ऑपरेट किया जाता है) और गियर शिफ्ट लीवर का इस्तेमाल करना होता है।
यह कैसे काम करता है?
मैनुअल कार चलाने के लिए एक खास प्रक्रिया होती है:
- सबसे पहले, आपको क्लच पेडल पूरी तरह दबाना होता है। यह इंजन को ट्रांसमिशन से अलग कर देता है।
- फिर, आपको गियर शिफ्ट लीवर का इस्तेमाल करके सही गियर चुनना होता है (जैसे 1st, 2nd, 3rd, आदि)।
- गियर लगाने के बाद, आपको धीरे-धीरे क्लच पेडल छोड़ना होता है, साथ ही साथ एक्सीलरेटर पेडल हल्का दबाना होता है।
- जैसे-जैसे कार स्पीड पकड़ती है या जरूरत बदलती है, आपको क्लच दबाकर अगला गियर लगाना होता है और फिर से क्लच धीरे-धीरे छोड़ना होता है। स्पीड कम होने पर या रुकने पर आपको निचले गियर में आना पड़ता है या न्यूट्रल (Neutral) करना पड़ता है।
यह प्रक्रिया शुरू में थोड़ी मुश्किल लग सकती है, लेकिन अभ्यास से इसमें महारत हासिल हो जाती है। यह ड्राइवर को इंजन के साथ सीधा जुड़ाव महसूस कराती है।
मैनुअल ट्रांसमिशन सिस्टम अपेक्षाकृत सरल होता है, जिसमें कुछ ही मुख्य घटक होते हैं: क्लच प्लेट, प्रेशर प्लेट, फ्लाईव्हील, गियर सेट और शिफ्ट लिंकेज। कम जटिलता का मतलब है कि मरम्मत और रखरखाव अक्सर सस्ता होता है।
ऑटोमैटिक गियर कारें: सुविधा का अनुभव
ऑटोमैटिक गियर कारें, इसके विपरीत, गियर बदलने का काम ड्राइवर के बजाय खुद करती हैं। ड्राइवर को केवल कार को ड्राइव (Drive), रिवर्स (Reverse), पार्किंग (Park) या न्यूट्रल (Neutral) मोड में रखना होता है। क्लच पेडल इसमें होता ही नहीं है।
यह प्रणाली खास तौर पर शहर की भीड़भाड़ वाली सड़कों और ट्रैफिक जाम में बेहद आरामदायक होती है, क्योंकि ड्राइवर को बार-बार गियर बदलने और क्लच दबाने की मशक्कत नहीं करनी पड़ती।
यह कैसे काम करता है?
ऑटोमैटिक ट्रांसमिशन विभिन्न तकनीकों का उपयोग कर सकता है, लेकिन मूल विचार यह है कि यह कार की गति, इंजन की गति और ड्राइवर के एक्सीलरेटर इनपुट के आधार पर स्वचालित रूप से सही गियर का चयन करता है।
मुख्य प्रकार के ऑटोमैटिक ट्रांसमिशन हैं:
- टॉर्क कन्वर्टर (Torque Converter – TC) ऑटोमैटिक: यह सबसे पारंपरिक प्रकार है। यह फ्लूइड कपलिंग (Fluid Coupling) और प्लैनेटरी गियर सेट (Planetary Gear Sets) का उपयोग करके इंजन की शक्ति को पहियों तक पहुंचाता है और गियर बदलता है। ये बेहद स्मूथ (Smooth) होते हैं।
- ऑटोमेटेड मैनुअल ट्रांसमिशन (Automated Manual Transmission – AMT): यह अनिवार्य रूप से एक मैनुअल गियरबॉक्स है जिसमें ऑटोमैटिक तरीके से क्लच और गियर बदलने के लिए एक्चुएटर्स (Actuators) लगे होते हैं। यह पारंपरिक ऑटोमैटिक से सस्ता होता है, लेकिन गियर शिफ्ट कभी-कभी झटकेदार हो सकते हैं।
- कंटिन्यूअसली वेरिएबल ट्रांसमिशन (Continuously Variable Transmission – CVT): इसमें निश्चित गियर रेशियो (Gear Ratios) नहीं होते। यह पुली (Pulleys) और बेल्ट (Belt) का उपयोग करके इंजन को उसकी सबसे कुशल RPM रेंज में रखने की कोशिश करता है, जिससे ईंधन दक्षता बेहतर हो सकती है। ड्राइविंग अनुभव अक्सर “रबर बैंड” प्रभाव जैसा लगता है, जहां इंजन की गति स्थिर रहती है जबकि कार स्पीड पकड़ती है।
- डुअल-क्लच ट्रांसमिशन (Dual-Clutch Transmission – DCT): इसमें दो क्लच होते हैं – एक विषम गियर के लिए और दूसरा सम गियर के लिए। यह एक साथ दो गियर तैयार रखता है, जिससे गियर शिफ्ट बहुत तेज़ और कुशल होते हैं। ये अक्सर परफॉरमेंस कारों में पाए जाते हैं।
ये सभी सिस्टम सेंसर्स और एक कंट्रोल यूनिट (आमतौर पर एक कंप्यूटर) द्वारा नियंत्रित होते हैं जो ड्राइविंग की स्थिति का लगातार विश्लेषण करते हैं और सबसे उपयुक्त गियर का चयन करते हैं।
फायदे और चुनौतियां: एक तुलनात्मक अध्ययन
मैनुअल और ऑटोमैटिक, दोनों तरह की कारों के अपने फायदे और नुकसान हैं। आपके लिए कौन सा बेहतर है, यह आपकी ड्राइविंग शैली, बजट और प्राथमिकताओं पर निर्भर करता है।
मैनुअल कारों के फायदे:
- अधिक नियंत्रण: ड्राइवर के पास इंजन और पहियों पर सीधा नियंत्रण होता है। यह मुश्किल ड्राइविंग परिस्थितियों में, जैसे बर्फ, कीचड़ या खड़ी चढ़ाई/उतराई पर बहुत उपयोगी हो सकता है। आप इंजन ब्रेकिंग (Engine Braking) का प्रभावी ढंग से उपयोग कर सकते हैं।
- ड्राइविंग का अनुभव: कई उत्साही लोगों के लिए, मैनुअल कार चलाना अधिक मजेदार और आकर्षक अनुभव होता है। गियर बदलने की प्रक्रिया ड्राइविंग में अधिक जुड़ाव पैदा करती है।
- कम लागत: आमतौर पर, मैनुअल ट्रांसमिशन वाली कारें खरीदने में सस्ती होती हैं। उनकी मरम्मत और रखरखाव भी अक्सर कम महंगा होता है क्योंकि उनमें कम जटिल पुर्जे होते हैं। क्लच प्लेट को छोड़कर, अन्य पुर्जे आमतौर पर काफी टिकाऊ होते हैं।
- बेहतर ईंधन दक्षता (परंपरागत रूप से): पुराने मॉडलों में, मैनुअल कारें अक्सर ऑटोमैटिक कारों की तुलना में थोड़ी अधिक ईंधन कुशल होती थीं, हालांकि आधुनिक ऑटोमैटिक ट्रांसमिशन ने इस अंतर को काफी कम कर दिया है।
मैनुअल कारों की चुनौतियां:
- सीखने की प्रक्रिया: मैनुअल कार चलाना सीखना थोड़ा मुश्किल हो सकता है, खासकर क्लच कंट्रोल (Clutch Control) और गियर सिंक्रनाइज़ेशन (Gear Synchronization) को समझना।
- शहर की ड्राइविंग में थकान: भारी ट्रैफिक में बार-बार क्लच दबाना और गियर बदलना थका देने वाला हो सकता है, जिससे पैर में दर्द हो सकता है।
- गाड़ी बंद होने का खतरा: यदि आप क्लच को सही तरीके से कंट्रोल नहीं करते हैं, तो मैनुअल कार रुकते समय या धीमी गति पर बंद (Stall) हो सकती है।
ऑटोमैटिक कारों के फायदे:
- ड्राइविंग में आसानी और आराम: ऑटोमैटिक कारें चलाना बेहद आसान और आरामदायक होता है, खासकर नए ड्राइवरों और शहर में रहने वालों के लिए। गियर बदलने की चिंता नहीं रहती।
- ट्रैफिक में बेहतर: ट्रैफिक जाम और भीड़भाड़ वाली स्थितियों में, ऑटोमैटिक कारें ड्राइविंग को बहुत कम तनावपूर्ण बनाती हैं। आपको बस ब्रेक और एक्सीलरेटर का उपयोग करना होता है।
- सुरक्षा: क्योंकि ड्राइवर को गियर बदलने पर ध्यान केंद्रित नहीं करना पड़ता, वे सड़क पर अधिक ध्यान दे सकते हैं, जिससे सुरक्षा बढ़ सकती है।
- चिकनी ड्राइविंग: आधुनिक ऑटोमैटिक ट्रांसमिशन, विशेष रूप से टॉर्क कन्वर्टर और DCT, बहुत स्मूथ गियर शिफ्ट प्रदान करते हैं, जिससे ड्राइविंग आरामदायक होती है।
ऑटोमैटिक कारों की चुनौतियां:
- उच्च लागत: ऑटोमैटिक ट्रांसमिशन वाली कारें आमतौर पर मैनुअल वेरिएंट की तुलना में खरीदने में महंगी होती हैं।
- मरम्मत और रखरखाव महंगा: ऑटोमैटिक ट्रांसमिशन सिस्टम अधिक जटिल होते हैं, इसलिए यदि उनमें कोई खराबी आती है, तो उनकी मरम्मत महंगी हो सकती है।
- कम नियंत्रण (कुछ स्थितियों में): कुछ ड्राइवरों को ऑटोमैटिक कारों में मैन्युअल कारों जैसा नियंत्रण महसूस नहीं होता, खासकर जब उन्हें तुरंत पावर की आवश्यकता हो या इंजन ब्रेकिंग का उपयोग करना हो। हालांकि, कई आधुनिक ऑटोमैटिक कारों में मैनुअल मोड या पैडल शिफ्टर्स (Paddle Shifters) आते हैं जो कुछ हद तक यह नियंत्रण प्रदान करते हैं।
- ईंधन दक्षता (परंपरागत रूप से कम): ऐतिहासिक रूप से, ऑटोमैटिक कारें मैनुअल की तुलना में कम ईंधन कुशल होती थीं। हालाँकि, आधुनिक टेक्नोलॉजी जैसे CVT और उन्नत टॉर्क कन्वर्टर ने इस अंतर को कम कर दिया है, और कुछ मामलों में, ऑटोमैटिक कारें अब मैनुअल से बेहतर ईंधन दक्षता प्रदान कर सकती हैं।
ईंधन दक्षता और प्रदर्शन: एक बदलता परिदृश्य
पहले यह एक आम धारणा थी कि मैनुअल कारें हमेशा ऑटोमैटिक कारों की तुलना में अधिक ईंधन कुशल होती हैं। यह काफी हद तक सच था क्योंकि शुरुआती ऑटोमैटिक ट्रांसमिशन में ऊर्जा का नुकसान अधिक होता था।
हालांकि, पिछले कुछ वर्षों में ऑटोमैटिक ट्रांसमिशन टेक्नोलॉजी में काफी प्रगति हुई है। आधुनिक मल्टी-स्पीड (6-स्पीड, 8-स्पीड, 10-स्पीड) टॉर्क कन्वर्टर, CVT और DCTs बहुत अधिक कुशल हो गए हैं।
ये ट्रांसमिशन इंजन को उसकी सबसे कुशल RPM रेंज में रखने में बेहतर होते हैं, और इनमें आंतरिक घर्षण और ऊर्जा हानि कम होती है। नतीजतन, कई मामलों में, एक ही मॉडल की ऑटोमैटिक कार अब मैनुअल कार के बराबर या उससे भी बेहतर ईंधन दक्षता दे सकती है।
प्रदर्शन के मामले में, DCTs अपनी तेज़ गियर शिफ्टिंग के कारण अक्सर मैनुअल ट्रांसमिशन से भी बेहतर एक्सेलेरेशन (Acceleration) प्रदान करते हैं। टॉर्क कन्वर्टर ऑटोमैटिक भी लॉन्च से अच्छा पुल (Pull) देते हैं। जबकि एक कुशल ड्राइवर मैनुअल कार से अच्छा प्रदर्शन कर सकता है, औसत ड्राइवर के लिए ऑटोमैटिक कार से लगातार अच्छा प्रदर्शन प्राप्त करना आसान होता है।
लागत: खरीद से लेकर रखरखाव तक
जब आप एक कार खरीदते हैं, तो न केवल प्रारंभिक खरीद मूल्य बल्कि दीर्घकालिक लागतों पर भी विचार करना महत्वपूर्ण होता है।
- प्रारंभिक खरीद मूल्य: लगभग हमेशा, एक ही मॉडल की ऑटोमैटिक वेरिएंट कार मैनुअल वेरिएंट से 50,000 से 1.5 लाख रुपये या उससे भी अधिक महंगी होती है। यह ऑटोमैटिक ट्रांसमिशन सिस्टम की जटिलता और निर्माण लागत के कारण होता है।
- रखरखाव: दोनों प्रकार के ट्रांसमिशन को नियमित रखरखाव की आवश्यकता होती है, मुख्य रूप से ट्रांसमिशन फ्लूइड (Transmission Fluid) को बदलने की। मैनुअल ट्रांसमिशन का फ्लूइड आमतौर पर कम बार बदलने की आवश्यकता होती है और यह ऑटोमैटिक फ्लूइड की तुलना में सस्ता होता है।
- मरम्मत: यदि ट्रांसमिशन में कोई बड़ी खराबी आती है, तो ऑटोमैटिक ट्रांसमिशन की मरम्मत आमतौर पर मैनुअल ट्रांसमिशन की तुलना में काफी अधिक महंगी होती है, क्योंकि पुर्जे और मरम्मत प्रक्रिया अधिक जटिल होती है। मैनुअल ट्रांसमिशन में क्लच प्लेट एक ऐसा पुर्जा है जो ड्राइविंग स्टाइल के आधार पर घिसता है और उसे बदलने की आवश्यकता होती है, लेकिन यह आमतौर पर ऑटोमैटिक ट्रांसमिशन के बड़े ओवरहाल (Overhaul) से सस्ता होता है।
कुल मिलाकर, यदि बजट आपकी मुख्य चिंता है, तो मैनुअल कारें शुरू में और लंबे समय में भी सस्ती साबित हो सकती हैं, बशर्ते कोई बड़ी या असामान्य टूट-फूट न हो।
भारत में वर्तमान स्थिति और वैश्विक रुझान
भारत में, ऑटोमैटिक कारों की लोकप्रियता तेजी से बढ़ रही है। कुछ साल पहले तक, ऑटोमैटिक कारें प्रीमियम सेगमेंट तक ही सीमित थीं, लेकिन अब एंट्री-लेवल (Entry-Level) और मिड-रेंज (Mid-Range) कारों में भी ऑटोमैटिक विकल्प (खासकर AMT) आसानी से उपलब्ध हैं।
इस वृद्धि के कई कारण हैं: शहरों में बढ़ता ट्रैफिक, ड्राइविंग में आसानी की बढ़ती प्राथमिकता, और ऑटोमैटिक ट्रांसमिशन टेक्नोलॉजी का अधिक किफायती होना। युवाओं और महिलाओं के बीच ऑटोमैटिक कारों की विशेष रूप से अधिक मांग है।
वैश्विक स्तर पर, अमेरिका और यूरोप जैसे कई विकसित बाजारों में ऑटोमैटिक ट्रांसमिशन पहले से ही मानक बन चुके हैं। मैनुअल कारें अब वहां कम आम हैं, अक्सर परफॉरमेंस कारों या विशेष मॉडलों तक सीमित हैं।
भविष्य की ओर देखते हुए, 2024-2025 और उसके बाद, हम ऑटोमैटिक ट्रांसमिशन टेक्नोलॉजी में और भी नवाचार देखने की उम्मीद कर सकते हैं। बेहतर नियंत्रण इकाइयों (Control Units) के साथ जो ड्राइविंग स्थितियों को और सटीक रूप से पढ़ सकें, और अधिक गियर वाली (जैसे 9 या 10-स्पीड) ट्रांसमिशन जो प्रदर्शन और ईंधन दक्षता दोनों को बेहतर बना सकें।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (Artificial Intelligence – AI) का एकीकरण ट्रांसमिशन को और भी अधिक “स्मार्ट” बना सकता है, जो न केवल वर्तमान ड्राइविंग स्थिति बल्कि आगे की सड़क या ट्रैफिक पैटर्न का भी अनुमान लगाकर गियर बदल सकता है।
2030 तक, स्वायत्त ड्राइविंग (Self-Driving) टेक्नोलॉजी के अधिक मुख्यधारा में आने की संभावना है। जब कारें खुद चलेंगी, तो गियर बदलने का काम पूरी तरह से सिस्टम द्वारा किया जाएगा, और मैनुअल ट्रांसमिशन का औचित्य कम हो जाएगा। इलेक्ट्रिक वाहन (Electric Vehicles – EVs) भी इस बदलाव को गति दे रहे हैं। अधिकांश EVs में पारंपरिक मल्टी-स्पीड ट्रांसमिशन की आवश्यकता नहीं होती; वे अक्सर सिंगल-स्पीड गियरबॉक्स (Single-Speed Gearbox) का उपयोग करते हैं या उनमें कोई गियरबॉक्स होता ही नहीं है, क्योंकि इलेक्ट्रिक मोटर अलग तरह से काम करते हैं। इससे मैनुअल बनाम ऑटोमैटिक बहस EVs के संदर्भ में अप्रासंगिक हो जाती है।
आपके लिए सही विकल्प चुनना: व्यावहारिक सुझाव
जब आप एक नई कार खरीदने का विचार कर रहे हों और मैनुअल और ऑटोमैटिक के बीच चुनाव करना हो, तो यहां कुछ व्यावहारिक सुझाव दिए गए हैं जो आपको सही निर्णय लेने में मदद कर सकते हैं:
- अपनी ड्राइविंग आवश्यकताओं का मूल्यांकन करें: आप ज्यादातर कहाँ गाड़ी चलाते हैं? यदि आप मुख्य रूप से भारी शहर के ट्रैफिक में गाड़ी चलाते हैं, तो ऑटोमैटिक कार का आराम एक बड़ा फायदा हो सकता है। यदि आप लंबी दूरी, राजमार्गों पर या पहाड़ी इलाकों में अधिक गाड़ी चलाते हैं, तो मैनुअल का नियंत्रण आपको अधिक पसंद आ सकता है।
- अपनी ड्राइविंग शैली पर विचार करें: क्या आप ड्राइविंग का पूरा नियंत्रण पसंद करते हैं और गियर बदलने में आनंद लेते हैं? या आप एक आरामदायक और तनाव-मुक्त ड्राइविंग अनुभव चाहते हैं? आपकी व्यक्तिगत प्राथमिकता यहाँ महत्वपूर्ण है।
- दोनों का टेस्ट ड्राइव करें: यह सबसे महत्वपूर्ण कदम है। किसी शोरूम पर जाएँ और एक ही मॉडल की मैनुअल और ऑटोमैटिक दोनों कारों का टेस्ट ड्राइव करें। देखें कि आपको कौन सा चलाने में अधिक आरामदायक और सहज लगता है। विभिन्न ड्राइविंग स्थितियों में उनका अनुभव लें – जैसे धीमी गति, तेज गति, थोड़ी चढ़ाई।
- बजट पर विचार करें: ऑटोमैटिक कार की प्रारंभिक लागत अधिक होती है। साथ ही, संभावित उच्च मरम्मत लागतों को भी ध्यान में रखें। क्या आपका बजट इन अतिरिक्त खर्चों को वहन कर सकता है?
- परिवार के सदस्यों की जरूरतों को समझें: यदि आपके परिवार के अन्य सदस्य भी कार चलाएंगे, तो उनकी ड्राइविंग क्षमता और पसंद पर भी विचार करें। क्या वे मैनुअल कार चलाने में सहज हैं?
- रखरखाव के बारे में जानें: कार खरीदने से पहले, दोनों प्रकार के ट्रांसमिशन के लिए अपेक्षित रखरखाव शेड्यूल और लागतों के बारे में जानकारी प्राप्त करें।
- किराये पर लेकर अनुभव करें: यदि संभव हो, तो यात्रा के दौरान या कुछ दिनों के लिए दोनों प्रकार की कारों को किराये पर लेकर चलाएं। यह एक टेस्ट ड्राइव से अधिक विस्तृत अनुभव प्रदान कर सकता है।
यह याद रखें कि कोई “सर्वश्रेष्ठ” विकल्प नहीं है। जो एक व्यक्ति के लिए सही है, वह दूसरे के लिए गलत हो सकता है। निर्णय पूरी तरह से आपकी व्यक्तिगत परिस्थितियों और प्राथमिकताओं पर आधारित होना चाहिए।
कार की सही देखभाल के लिए, चाहे वह मैनुअल हो या ऑटोमैटिक, निर्माता द्वारा सुझाए गए नियमित जांच और रखरखाव का पालन करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। समय पर ट्रांसमिशन फ्लूइड बदलना और किसी भी असामान्य आवाज या व्यवहार पर ध्यान देना आपके ट्रांसमिशन की जीवनकाल को बढ़ा सकता है।
निष्कर्ष
मैनुअल और ऑटोमैटिक गियर कारों के बीच चुनाव, अंततः आपकी व्यक्तिगत पसंद, आप कहाँ गाड़ी चलाते हैं, आपकी ड्राइविंग शैली, और नियंत्रण, सुविधा, ईंधन अर्थव्यवस्था, और लागत जैसी आपकी प्राथमिकताओं पर निर्भर करता है।
ऑटोमैटिक कारें आसानी, सुविधा और अक्सर आधुनिक प्रदर्शन प्रदान करती हैं, जो उन्हें शहरी ड्राइविंग और उन लोगों के लिए आदर्श बनाती हैं जो तनाव-मुक्त अनुभव चाहते हैं।
दूसरी ओर, मैनुअल कारें ड्राइवर को अधिक नियंत्रण और जुड़ाव का अनुभव देती हैं, और आमतौर पर खरीदने और रखरखाव में सस्ती होती हैं, जो उन्हें ड्राइविंग के शौकीनों और बजट के प्रति जागरूक खरीदारों के लिए आकर्षक बनाती हैं।
जैसे-जैसे टेक्नोलॉजी आगे बढ़ रही है, ऑटोमैटिक ट्रांसमिशन अधिक कुशल, प्रतिक्रियाशील और सुलभ होते जा रहे हैं, जिससे मैनुअल और ऑटोमैटिक के बीच का अंतर कुछ पहलुओं में कम हो रहा है। भविष्य में, स्वायत्त ड्राइविंग और इलेक्ट्रिक वाहनों के उदय के साथ, ट्रांसमिशन की प्रकृति ही बदल सकती है।
इसलिए, अपने लिए सबसे अच्छा विकल्प चुनते समय, अपनी वर्तमान जरूरतों और भविष्य की संभावनाओं दोनों पर विचार करें। टेस्ट ड्राइव करें, सवाल पूछें, और एक सूचित निर्णय लें जो आपकी ड्राइविंग जीवनशैली के लिए सबसे उपयुक्त हो।
हमेशा तकनीकी विकासों पर नजर रखें और अपने लिए सबसे अच्छा विकल्प चुनें।
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