आपकी नई कार खरीदने का सपना है, पर क्या आप जानते हैं कि दूसरी हाथ की कार (used car) खरीदते वक़्त क्या-क्या जांचें? इस्तेमाल की गई कार खरीदना एक बहुत ही समझदारी भरा कदम हो सकता है, खासकर अगर आपका बजट सीमित हो या आप पहली बार कार खरीद रहे हों। लेकिन अक्सर यह एक ऐसा सौदा होता है जहाँ छिपी हुई दिक्कतें हो सकती हैं।
सोचिए, आपके किसी दोस्त ने अपनी पुरानी कार बेचने की सोची, और आपको बताई। सुनने में यह एक बढ़िया मौका लगता है, है ना? लेकिन आपके दोस्त के मन में भी थोड़ा शक था कि कहीं कार में कोई ऐसी समस्या न हो जो बाहर से दिखे नहीं। उसे अपनी गाड़ी के साथ कुछ छोटी-मोटी परेशानियाँ आने लगी थीं। कई बार, इस्तेमाल की गई कारें ऐसी ही छिपी हुई समस्याओं से भरी होती हैं।
एक बार जब आप खुद इस तरह की मुश्किल से गुजर चुके होते हैं, तो आप समझ जाते हैं कि बिना पूरी जानकारी जुटाए कोई भी बड़ा फैसला करना ठीक नहीं है। खासकर जब बात आपके पैसों और सुरक्षा की हो। एक बुरी डील आपको बाद में ढेर सारी परेशानी और अनचाहा खर्च दे सकती है। इसीलिए, इस्तेमाल की गई कार खरीदने से पहले पूरी तरह से जाँच-पड़ताल करना बहुत ज़रूरी है।
इस लेख में, हम आपको इस्तेमाल की गई कार खरीदने से पहले ध्यान रखने वाली सभी प्रमुख बातों पर गहराई से चर्चा करेंगे। हमारा मकसद है कि आप एक सूचित फैसला लें और अपनी ‘नई’ पुरानी गाड़ी का आनंद ले सकें, न कि किसी छिपी हुई समस्या से जूझते रहें। तो चलिए, शुरू करते हैं आपकी सही कार ढूंढने की यात्रा।
कार खरीदने का बजट तय करें और रिसर्च करें
इस्तेमाल की गई कार खरीदने का सबसे पहला कदम है अपना बजट तय करना। सिर्फ कार की शुरुआती कीमत ही नहीं, बल्कि रजिस्ट्रेशन ट्रांसफर फीस, इंश्योरेंस, और संभावित छोटी-मोटी मरम्मत का खर्च भी इसमें शामिल करें। एक बार बजट तय हो जाए, तो यह जानना ज़रूरी है कि उस बजट में आपके लिए कौन-कौन से मॉडल उपलब्ध हैं।
विभिन्न मॉडलों पर रिसर्च करें। देखें कि कौन सी कारें अपनी विश्वसनीयता (reliability) के लिए जानी जाती हैं, उनके रखरखाव (maintenance) का खर्च कितना आता है, और उनके स्पेयर पार्ट्स आसानी से मिलते हैं या नहीं। आप ऑनलाइन रिव्यूज पढ़ सकते हैं, दोस्तों से पूछ सकते हैं, या कार फोरम (car forum) में जानकारी हासिल कर सकते हैं।
इस रिसर्च से आपको यह समझने में मदद मिलेगी कि आपके लिए कौन सा मॉडल सबसे उपयुक्त है। उदाहरण के लिए, यदि आपको बार-बार लंबी यात्रा करनी है, तो माइलेज और आरामदायक सस्पेंशन वाली कार देखना बेहतर होगा। यदि आप शहर में चलाते हैं, तो छोटी और चलाने में आसान कार फायदेमंद हो सकती है।
बाजार में उस मॉडल और साल की कारों की औसत कीमत पता करें। इससे आपको मोलभाव करने में मदद मिलेगी और आप यह सुनिश्चित कर पाएंगे कि आप सही कीमत दे रहे हैं। कई ऑनलाइन प्लेटफॉर्म (online platform) हैं जहाँ आप इस्तेमाल की गई कारों की कीमतें चेक कर सकते हैं।
इंश्योरेंस और अन्य ज़रूरी पेपर्स की जांच
कार का सौदा फाइनल करने से पहले, इंश्योरेंस और बाकी संबंधित दस्तावेजों की जांच करना बेहद महत्वपूर्ण है। यह सिर्फ कागजी कार्यवाही नहीं है, बल्कि कार के इतिहास को जानने का एक तरीका है।
कार का इंश्योरेंस पेपर ध्यान से देखें। इसमें कार का विवरण, मालिक का नाम और सबसे ज़रूरी, क्लेम हिस्ट्री (claim history) लिखी होती है। अगर कार पर कोई दुर्घटना (accident) हुई है और उसका इंश्योरेंस क्लेम लिया गया है, तो इसकी जानकारी आपको इंश्योरेंस पेपर से मिल सकती है। इससे आपको कार की वास्तविक स्थिति का पता लगाने में मदद मिलेगी। उदाहरण के लिए, यदि किसी कार का कई बार बड़ा इंश्योरेंस क्लेम हुआ है, तो यह इस बात का संकेत हो सकता है कि कार किसी गंभीर दुर्घटना में शामिल रही है, भले ही उसकी मरम्मत करा ली गई हो।
यह सुनिश्चित करें कि वाहन का चेसिस नंबर (VIN – Vehicle Identification Number) और इंजन नंबर, इंश्योरेंस पेपर, रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट (RC – Registration Certificate) और कार पर मौजूद नंबरों से पूरी तरह से मेल खाते हों। यह एक बहुत ही ज़रूरी कदम है जो आपको किसी भी छिपे हुए फ्रॉड या चोरी की कार खरीदने से बचा सकता है। अगर नंबर मेल नहीं खाते, तो तुरंत सावधान हो जाएं।
आरसी (RC) की जांच करना भी उतना ही ज़रूरी है। देखें कि मालिक का नाम वही है जिससे आप कार खरीद रहे हैं। आरसी पर दर्ज पता और बाकी विवरण भी चेक करें। देखें कि कार पर कोई लोन चल रहा है या नहीं (Hypothecation)। अगर लोन है, तो सुनिश्चित करें कि बेचने वाला बैंक से NOC (No Objection Certificate) दिलवाएगा, जिससे यह साबित हो सके कि लोन चुका दिया गया है।
प्रदूषण नियंत्रण प्रमाण पत्र (PUCC – Pollution Under Control Certificate) भी चेक करें। यह बताता है कि कार प्रदूषण मानकों का पालन कर रही है या नहीं। यह भी सुनिश्चित करें कि रोड टैक्स (Road Tax) का भुगतान अप-टू-डेट है।
सर्विस हिस्ट्री और मेंटेनेंस रिकॉर्ड
कार की सर्विस हिस्ट्री (service history) एक तरह से कार की मेडिकल रिपोर्ट (medical report) होती है। यदि कार का नियमित रूप से अधिकृत सर्विस सेंटरों या भरोसेमंद लोकल गैरेज में मेंटेनेंस हुआ है, तो यह संभावना बढ़ जाती है कि कार अच्छी स्थिति में है।
सर्विस बुकलेट या रिकॉर्ड मांगें। इसमें कार की सर्विस कब-कब हुई, क्या काम हुआ, और कौन से पार्ट्स बदले गए, इसका पूरा ब्यौरा होता है। नियमित सर्विसिंग का मतलब है कि कार के ज़रूरी पार्ट्स की जाँच और देखभाल समय पर हुई है। अगर सर्विस रिकॉर्ड अधूरा है या गायब है, तो यह एक चिंता का विषय हो सकता है।
ओडोमीटर (odometer) यानी माइलेज मीटर को ध्यान से देखें। देखें कि कार की उम्र और इस्तेमाल के हिसाब से माइलेज सही है या नहीं। बहुत कम माइलेज भी कभी-कभी संदेहास्पद हो सकता है, खासकर अगर कार बहुत पुरानी हो (जैसे कि ओडोमीटर से छेड़छाड़ की गई हो)। हालांकि, कुछ लोग कार का इस्तेमाल बहुत कम करते हैं, इसलिए सिर्फ माइलेज ही एकमात्र आधार नहीं होना चाहिए।
यदि संभव हो, तो आखिरी कुछ सर्विस की रसीदें (receipts) मांगें। इनमें किए गए काम और बदले गए पार्ट्स की जानकारी होती है। आप सर्विस सेंटर से संपर्क करके सर्विस रिकॉर्ड की पुष्टि भी कर सकते हैं, बशर्ते मालिक इसके लिए तैयार हो।
एक अच्छी सर्विस हिस्ट्री बताती है कि पिछले मालिक ने कार की परवाह की है, जिससे आपके लिए भविष्य में समस्याएँ कम होने की संभावना है।
विस्तृत टेस्ट ड्राइव: सिर्फ एक बार नहीं, कई बार
कार खरीदने से पहले सिर्फ एक छोटी टेस्ट ड्राइव काफी नहीं है। कम से कम 5-7 बार टेस्ट ड्राइव करना ज़रूरी है, और वह भी अलग-अलग रास्तों और परिस्थितियों में। इससे आपको कार के हर हिस्से की जांच करने और संभावित समस्याओं का पता लगाने का पूरा मौका मिलता है।
टेस्ट ड्राइव के दौरान इन बातों पर खास ध्यान दें:
- इंजन की परफॉर्मेंस: कार को स्टार्ट करें। क्या इंजन आसानी से स्टार्ट होता है? क्या स्टार्ट होने पर कोई असामान्य आवाज़ आती है? कार चलाते समय देखें कि इंजन पावर सही दे रहा है या नहीं। क्या एक्सीलरेटर (accelerator) दबाने पर कोई हिचकिचाहट महसूस होती है?
- ब्रेक: अलग-अलग स्पीड पर ब्रेक लगाकर देखें। क्या ब्रेक तुरंत और smoothly काम करते हैं? क्या ब्रेक लगाने पर कोई कर्कश आवाज़ आती है? क्या ब्रेक पेडल (brake pedal) बहुत soft या बहुत hard है? क्या अचानक ब्रेक लगाने पर कार एक तरफ खींचती है?
- स्टीयरिंग: देखें कि स्टीयरिंग व्हील (steering wheel) सीधा है या नहीं जब कार सीधी चल रही हो। स्टीयरिंग घुमाते समय कोई असामान्य आवाज़ या stiffness महसूस होती है क्या? कम स्पीड और ज़्यादा स्पीड दोनों पर स्टीयरिंग की प्रतिक्रिया चेक करें।
- गियर बॉक्स: अगर मैनुअल कार है, तो सभी गियर आसानी से लगने चाहिए। गियर बदलते समय कोई harshness या आवाज़ नहीं आनी चाहिए। क्लच (clutch) पेडल बहुत भारी या बहुत हल्का नहीं होना चाहिए। अगर ऑटोमैटिक कार है, तो गियर shifts smooth होने चाहिए और कोई jerking महसूस नहीं होनी चाहिए।
- सस्पेंशन: उबड़-खाबड़ रास्तों और स्पीड ब्रेकर पर कार चलाकर देखें। क्या सस्पेंशन झटकों को अच्छे से absorb कर रहा है? क्या कोई ज़्यादा आवाज़ या खटखटाने की आवाज़ आती है? यह खराब सस्पेंशन का संकेत हो सकता है।
- असामान्य आवाज़ें: टेस्ट ड्राइव के दौरान कार से आने वाली किसी भी असामान्य आवाज़ पर ध्यान दें – जैसे इंजन से, पहियों से, सस्पेंशन से, या बॉडी से। खटखटाने, चरमराहट, या सीटी जैसी आवाज़ें अक्सर किसी समस्या का संकेत होती हैं।
यदि आपको टेस्ट ड्राइव के दौरान कोई भी ऐसी चीज़ महसूस हो जो आपको ठीक न लगे, तो बेहतर है कि उस कार को खरीदने का विचार छोड़ दें या किसी मैकेनिक से उसकी गहन जाँच करवाएं।
इंजन और फ्रेमिंग का गहन निरीक्षण
कार का इंजन दिल की तरह होता है, और फ्रेमिंग उसका ढांचा। दोनों की जाँच बहुत सावधानी से करनी चाहिए।
इंजन की जाँच करते समय, किसी भी प्रकार की लीक (leak) पर ध्यान दें – जैसे तेल (oil), कूलेंट (coolant), या कोई और तरल पदार्थ। इंजन के आसपास कोई चिपचिपाहट या गीलापन है क्या? इंजन को स्टार्ट करके देखें, क्या एग्जॉस्ट (exhaust) से असामान्य रंग का धुआँ (smoke) निकल रहा है? काला धुआँ ज़्यादा तेल जलने का संकेत हो सकता है, नीला धुआँ इंजन में खराबी का, और सफ़ेद धुआँ कूलेंट के इंजन में जाने का। ये सभी गंभीर समस्याएँ हो सकती हैं।
इंजन से आने वाली किसी भी असामान्य आवाज़, जैसे clicking, knocking, या grinding पर ध्यान दें। ये आवाज़ें इंजन के अंदरूनी हिस्सों में समस्या का संकेत हो सकती हैं।
कार का फ्रेम या बॉडी की फ्रेमिंग अच्छी तरह से देखें। यह देखना महत्वपूर्ण है कि कार किसी बड़ी दुर्घटना का शिकार तो नहीं हुई है जिसकी मरम्मत की गई हो। दुर्घटनाग्रस्त कार की मरम्मत अक्सर उसके structure को कमज़ोर कर सकती है।
सुनिश्चित करें कि कहीं कोई असमान गैप (uneven gap) न हो, खासकर दरवाजों, बोनट (bonnet), और डिग्गी (boot) के आसपास। असमान गैप अक्सर यह बताते हैं कि कार की बॉडी को alignment से हटाया गया है। दरवाजों और फ्रंट फेंडर्स (fenders) पर स्क्रैच मार्क्स (scratch marks) और वेल्ड्स (welds) को ध्यान से देखें। अगर कहीं वेल्डिंग के निशान हैं जहाँ वे factory welds जैसे नहीं दिखते, तो यह दुर्घटना के बाद की मरम्मत का संकेत दे सकती है।
कार के नीचे झुककर फ्रेमिंग की जाँच करें। कहीं कोई ज़्यादा जंग (rust) या टूट-फूट के निशान तो नहीं हैं? विशेष रूप से chassis rails और suspension mounting points की जाँच करें। इन जगहों पर जंग या डैमेज होना बहुत खतरनाक हो सकता है।
एक्सटीरियर और इंटीरियर की स्थिति
कार के बाहरी हिस्से (exterior) और अंदरूनी हिस्से (interior) की स्थिति कार के रखरखाव और इस्तेमाल के बारे में काफी कुछ बता सकती है।
बाहरी हिस्से पर, डेंट (dent), स्क्रैच (scratch), रंग फेर (repainting) या जंग (rust) की जाँच अवश्य करें। कार के चारों ओर चलें और अलग-अलग कोणों से देखें कि पेंटवर्क एक समान है या नहीं। अगर किसी हिस्से का रंग बाकी कार से थोड़ा अलग है या फिनिशिंग में फर्क है, तो यह उस हिस्से की मरम्मत या रिपेंटिंग का संकेत हो सकता है। दरवाजों के किनारों और व्हील आर्चेस (wheel arches) के आसपास जंग की जाँच करें, ये जगहें अक्सर पहले जंग पकड़ती हैं।
टायरों की स्थिति (condition of tires) और टायरों के सामान्य पहनावे (wear and tear) को भी ध्यान से देखें। देखें कि टायरों पर tread (खांचे) कितने बचे हैं। अगर tread बहुत कम है, तो आपको जल्द ही नए टायर खरीदने पड़ सकते हैं, जिसका खर्च अच्छा-खासा आता है। देखें कि सभी टायरों का wear pattern एक समान है या नहीं। असमान wear pattern व्हील अलाइनमेंट (wheel alignment) या सस्पेंशन की समस्या का संकेत हो सकता है। स्पेयर टायर (spare tire) की स्थिति भी चेक करना न भूलें।
कार के अंदरूनी हिस्से (interior) में सीटों, डैशबोर्ड (dashboard), डोर पैनल्स (door panels) और कारपेट (carpet) की अच्छी तरह से जांच करें। क्या सीटों पर कोई बड़े दाग, फटन या घिसाव है? क्या interior से कोई अप्रिय गंध आ रही है (जैसे नमी या सिगरेट की गंध)? डैशबोर्ड पर कोई चेतावनी लाइट (warning light) तो नहीं जल रही है?
सभी इलेक्ट्रिकल फिटिंग्स (electrical fittings) की कार्यक्षमता जाँचें: जैसे हेडलाइट्स (headlights), टेल लाइट्स (tail lights), इंडिकेटर्स (indicators), ब्रेक लाइट्स (brake lights), रिवर्स लाइट (reverse light), पावर विंडोज़ (power windows), सेंट्रल लॉकिंग (central locking), म्यूजिक सिस्टम (music system), और सबसे ज़रूरी, एयर कंडीशनर (AC)। AC ऑन करके देखें कि वह ठीक से कूलिंग कर रहा है या नहीं। ये छोटी-छोटी चीज़ें भी अगर खराब हों तो उनकी मरम्मत महंगी हो सकती है।
स्टीयरिंग, ब्रेक और अन्य महत्वपूर्ण घटकों की जांच
सुरक्षा के लिहाज़ से, स्टीयरिंग सिस्टम (steering system), ब्रेक सिस्टम (brake system) और अन्य महत्वपूर्ण घटकों की भी बारीकी से जांच करना ज़रूरी है।
स्टीयरिंग सिस्टम की जाँच करते समय, देखें कि स्टीयरिंग व्हील में कोई ज़्यादा फ्री प्ले (free play) तो नहीं है। कार चलाते समय स्टीयरिंग सीधा रहना चाहिए और तेज़ स्पीड पर या मोड़ लेते समय कोई vibration या असामान्य आवाज़ नहीं आनी चाहिए। पावर स्टीयरिंग (power steering) है तो देखें कि वह आसानी से काम कर रहा है या नहीं।
ब्रेक सिस्टम की कार्यक्षमता और प्रदर्शन को पूरी तरह से जांचें। ब्रेक पेडल दबाने पर क्या response तुरंत आता है? क्या ब्रेक लगाते समय कोई grinding या squealing आवाज़ आती है? यह ब्रेक पैड्स (brake pads) या डिस्क (disc) घिसने का संकेत हो सकता है। हैंडब्रेक (handbrake) भी चेक करें कि वह ठीक से काम करता है या नहीं।
अन्य महत्वपूर्ण घटकों में शामिल हैं:
- सस्पेंशन: जैसे पहले बताया, उबड़-खाबड़ रास्तों पर सस्पेंशन की प्रतिक्रिया देखें। कार को एक कोने से नीचे दबाकर छोड़ें, वह एक या दो बार ही ऊपर-नीचे होकर स्थिर हो जानी चाहिए। अगर वह बार-बार हिलती रहती है, तो शॉकर (shockers) खराब हो सकते हैं।
- एग्जॉस्ट सिस्टम (Exhaust System): एग्जॉस्ट से आने वाली आवाज़ सुनें। कोई unusual loud noise या rattling साउंड नहीं होनी चाहिए। एग्जॉस्ट पाइप में जंग या छेद तो नहीं है, यह भी देखें।
- बैटरी (Battery): बैटरी टर्मिनल्स (terminals) पर जंग या corrosion तो नहीं है, यह चेक करें। देखें कि बैटरी पुरानी तो नहीं है (उसकी मैन्युफैक्चरिंग डेट चेक करें)। खराब बैटरी भविष्य में परेशानी खड़ी कर सकती है।
- लाइट्स और हॉर्न (Lights and Horn): सभी बाहरी और अंदरूनी लाइट्स काम कर रही हैं या नहीं, चेक करें। हॉर्न बजाकर देखें।
- वाइपर और वॉशर (Wipers and Washers): विंडशील्ड वाइपर और वॉशर ठीक से काम कर रहे हैं या नहीं, यह भी चेक करें।
किसी भरोसेमंद मैकेनिक से कार की जाँच करवाएं
भले ही आपने कार की सारी जाँच खुद कर ली हो, लेकिन किसी भरोसेमंद मैकेनिक से कार की प्री-परचेज़ इंस्पेक्शन (PPI – Pre-Purchase Inspection) करवाना सबसे समझदारी भरा कदम है। एक अनुभवी मैकेनिक उन समस्याओं को पहचान सकता है जिन्हें एक आम आदमी शायद न देख पाए।
आप कार को बेचने वाले के साथ मैकेनिक के पास ले जा सकते हैं या मैकेनिक को कार की location पर बुला सकते हैं (अगर विक्रेता सहमत हो)। मैकेनिक कार को lift पर चढ़ाकर नीचे से भी जाँच कर सकता है, जो आपके लिए संभव नहीं होगा। वे इंजन, ट्रांसमिशन (transmission), सस्पेंशन, एग्जॉस्ट सिस्टम और फ्रेमिंग की गहन जाँच करेंगे।
मैकेनिक द्वारा बताई गई किसी भी समस्या को ध्यान से सुनें। अगर कोई बड़ी समस्या निकलती है, तो या तो उस कार को न खरीदें या उस मरम्मत का खर्च calculate करके कीमत में भारी कटौती के लिए मोलभाव करें। मैकेनिक की रिपोर्ट आपको मोलभाव करने में एक मजबूत स्थिति देगी। इस इंस्पेक्शन का खर्च कुछ हज़ार रुपये हो सकता है, लेकिन यह आपको हज़ारों या लाखों रुपये के नुकसान से बचा सकता है।
मोलभाव (Negotiation) कैसे करें?
एक बार जब आपने कार की पूरी जाँच कर ली है और आपको उसमें कुछ खामियां मिली हैं (जोकि इस्तेमाल की गई कार में अक्सर होती हैं), तो यह मोलभाव करने का सही समय है।
आपने जो भी समस्याएँ पाई हैं (जैसे टायर घिसे हुए हैं, ब्रेक पैड्स बदलने हैं, कोई छोटा-मोटा डेंट है, या सर्विस रिकॉर्ड अधूरा है), उनकी एक लिस्ट बना लें। मैकेनिक ने जो समस्याएँ बताई हैं, उन्हें भी इसमें शामिल करें। इन समस्याओं की मरम्मत का अनुमानित खर्च पता करें।
बेचने वाले को इन खामियों के बारे में बताएं और बताएं कि इन पर कितना खर्च आ सकता है। आप इस खर्च का हवाला देकर कीमत कम करने का प्रस्ताव दे सकते हैं।
विनम्र रहें लेकिन दृढ़ रहें। अपनी रिसर्च और मैकेनिक की रिपोर्ट के आधार पर एक वाजिब ऑफर दें। यदि विक्रेता आपकी बताई गई समस्याओं को स्वीकार नहीं करता है, तो हो सकता है कि वह सच्चाई छुपा रहा हो।
हमेशा याद रखें, आपके पास न खरीदने का विकल्प मौजूद है। अगर आपको डील सही न लगे या विक्रेता मोलभाव करने को तैयार न हो, तो आगे बढ़ें और कोई और कार देखें। जल्दीबाजी में गलत फैसला न लें।
कार खरीदने से पहले क्या सावधानियां बरतनी चाहिए?
इस्तेमाल की गई कार खरीदने से पहले सावधानी बरतना बेहद ज़रूरी है। इन महत्वपूर्ण बिंदुओं पर ध्यान दें, जो आपको किसी भी छिपी हुई समस्याओं से बचा सकते हैं:
- कभी भी दिन के उजाले में ही कार की जाँच करें। रात में या खराब रोशनी में छोटे डेंट, स्क्रैच या पेंटवर्क में फर्क देखना मुश्किल होता है।
- गीली कार की जाँच न करें, खासकर पेंटवर्क की। पानी छोटे डेंट और स्क्रैच को छुपा सकता है।
- इंजन को स्टार्ट करने से पहले और बाद में भी उसकी जाँच करें। ठंडा इंजन और गर्म इंजन अलग-अलग तरह से व्यवहार कर सकते हैं।
- एक अकेले न जाएं। किसी ऐसे दोस्त या परिवार के सदस्य को साथ ले जाएं जो कारों को समझता हो या कम से कम एक दूसरी राय दे सके।
- जल्दबाजी न करें। विक्रेता चाहे जितनी भी जल्दी कर रहा हो, अपनी जाँच के लिए पूरा समय लें।
- अगर डील बहुत अच्छी लग रही है, तो सावधान हो जाएं। अक्सर, जो चीज़ें बहुत अच्छी दिखती हैं, उनमें कोई न कोई catch होती है।
- कार के इंजन, फ्रेम, बाहरी और भीतरी हिस्सों, ब्रेक, स्टीयरिंग, और अन्य महत्वपूर्ण घटकों पर ध्यान केंद्रित करते हुए, अपने बजट को भी ध्यान में रखें।
- पैसे का लेन-देन हमेशा सुरक्षित तरीके से करें, जैसे बैंक ट्रांसफर (bank transfer)। बड़ी मात्रा में कैश (cash) देने से बचें।
मालिकाना हक़ का ट्रांसफर (Transfer of Ownership)
कार का सौदा पक्का होने और पैसे का भुगतान होने के बाद, सबसे ज़रूरी काम है कार के मालिकाना हक़ (ownership) का ट्रांसफर। यह काम तुरंत करवाना चाहिए।
इसके लिए आपको क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय (RTO – Regional Transport Office) में आवेदन करना होगा। इसमें विक्रेता और खरीदार दोनों के हस्ताक्षर और पहचान प्रमाण (ID proof) के साथ कई दस्तावेज़ों की आवश्यकता होती है, जैसे:
- फॉर्म 29 और फॉर्म 30 (ये RTO के स्टैंडर्ड फॉर्म हैं)
- रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट (RC) की ओरिजिनल कॉपी
- इंश्योरेंस पॉलिसी की कॉपी
- प्रदूषण नियंत्रण प्रमाण पत्र (PUCC)
- विक्रेता और खरीदार के पहचान प्रमाण और पते का प्रमाण (ID and address proof)
- पैन कार्ड (PAN card) की कॉपी
- अगर कार पर लोन था, तो बैंक से NOC
- अगर कार दूसरे राज्य से है, तो ओरिजिनल RTO से NOC
यह प्रक्रिया पूरी होने में कुछ समय लग सकता है। जब तक ट्रांसफर पूरा न हो जाए और RC आपके नाम पर न आ जाए, तब तक कानूनी तौर पर कार अभी भी पिछले मालिक के नाम पर है। इसलिए इस काम में देरी न करें। आप किसी एजेंट की मदद भी ले सकते हैं, लेकिन सुनिश्चित करें कि वह भरोसेमंद हो।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)
इस्तेमाल की गई कार खरीदते समय लोगों के मन में कुछ सामान्य सवाल होते हैं:
- क्या मुझे किसी डीलर (dealer) से कार खरीदनी चाहिए या किसी व्यक्तिगत विक्रेता (individual seller) से? डीलर से खरीदने पर आपको थोड़ी अधिक कीमत देनी पड़ सकती है, लेकिन अक्सर वे कार की कुछ बेसिक मरम्मत करके देते हैं और कई बार छोटी वारंटी (warranty) भी देते हैं। व्यक्तिगत विक्रेता से खरीदने पर कीमत कम हो सकती है, लेकिन जोखिम ज़्यादा होता है क्योंकि आपको कार की condition की पूरी जिम्मेदारी लेनी पड़ती है।
- क्या पुरानी कार के साथ वारंटी मिलती है? आमतौर पर नहीं, खासकर व्यक्तिगत विक्रेता से खरीदने पर। कुछ डीलर लिमिटेड वारंटी (limited warranty) दे सकते हैं, लेकिन उसकी शर्तें ध्यान से पढ़ें।
- मैं कैसे चेक करूं कि कार चोरी की तो नहीं है? आप ऑनलाइन RTO पोर्टल या कुछ थर्ड पार्टी वेबसाइट्स (third party websites) पर कार का रजिस्ट्रेशन नंबर डालकर उसका विवरण चेक कर सकते हैं। पुलिस रिकॉर्ड या चोरी की रिपोर्ट की जाँच करना थोड़ा मुश्किल हो सकता है, लेकिन VIN नंबर से आप कुछ जानकारी पा सकते हैं। सबसे सुरक्षित तरीका है कि सभी दस्तावेज़ों की गहन जाँच करें और सुनिश्चित करें कि विक्रेता असली मालिक है।
- अगर कार का माइलेज बहुत ज़्यादा है तो क्या उसे खरीदना चाहिए? ज़्यादा माइलेज का मतलब है कार का ज़्यादा इस्तेमाल हुआ है। ऐसी कार में पार्ट्स घिसे हुए हो सकते हैं और मरम्मत की ज़रूरत जल्दी पड़ सकती है। लेकिन सिर्फ माइलेज ही सब कुछ नहीं है; कार का रखरखाव कैसा हुआ है, यह ज़्यादा महत्वपूर्ण है। कम माइलेज वाली अनदेखी की गई कार से ज़्यादा माइलेज वाली अच्छी तरह से रखी गई कार बेहतर हो सकती है।
निष्कर्ष
इस्तेमाल की गई कार खरीदना एक बड़ा और महत्वपूर्ण फैसला है। यह आपके लिए पैसे बचाने का एक शानदार तरीका हो सकता है, बशर्ते आप सही कार चुनें। इन महत्वपूर्ण बिंदुओं पर ध्यान देकर, आप अपनी गाड़ी में छिपे हुए खतरों को पहचान सकते हैं और एक सूचित, सही निर्णय ले सकते हैं।
सही रिसर्च करें, कार और उसके दस्तावेज़ों की गहन जाँच करें, टेस्ट ड्राइव पर पूरा समय दें, और सबसे ज़रूरी, किसी भरोसेमंद मैकेनिक से कार की जाँच अवश्य करवाएं। मोलभाव करने से न डरें और अगर डील सही न लगे तो आगे बढ़ें।
सोच-समझकर खरीदें, और इन सावधानियों के साथ आप अपने लिए एक बेहतरीन इस्तेमाल की गई कार ढूंढ सकते हैं जो आपको भविष्य में परेशान करने के बजाय सुखद अनुभव दे। याद रखें, अच्छी तरह से जाँच करने पर ही आप भविष्य में आने वाली समस्याओं और अनचाहे खर्चों से बच सकते हैं। आपका धैर्य और सावधानी ही आपकी सबसे बड़ी पूंजी है इस सौदे में।
अगर आपको यह जानकारी उपयोगी लगी हो, तो इसे अपने दोस्तों और परिवार के साथ ज़रूर शेयर करें।